गुरुवार, 13 मई 2010

विरह वेदना........०१/११/07

सूख गए हैं सब सपने इन पलकों तक आते आते
माना उनको जाना ही था ,लेकिन मुझ से कह कर जाते

गुजरी रात अमावस की जब पूनम आने वाली थी
मुख की आभा जब मेरे तन मन पर छाने वाली थी
कुछ देर अगर रुक जाते तो सारांश नेह का पा जाते
माना उनको जाना ही था लेकिन मुझ से कह कर जाते

सिन्दूर लगा का लगा रह गया शृंगार किया का किया रह गया
मेरे अनुनय और विनय का व्यवहार धरा का धरा रह गया
इक नज़र देख लेते मुझको तो मुझ पर नयन ठहर जाते
माना उनको जाना ही था लेकिन मुझ से कह कर जाते

संबंध निभाए मैंने पर कोई कमी रही होगी
जिसे पाया सानिध्य उनका वो प्यासी जमीं रही होगी
वो गए छोड़ कर मुझ को पर नयनो में नहीं रही होगी
मैं उन से अलग रहूँ कैसे जो मुझ से दूर न रह पाते
माना उनको जाना ही था लेकिन मुझ से कह कर जाते

मैं आज सोचती हूँ शायद की मेरा प्यार अधूरा है
मेरी तृष्णा से निर्मित मेरा संसार अधूरा है
तुम ही तो थे दर्पण मेरे तुम ही तो मुझे सजाते थे
बिना तुम्हारे अब मेरा षोडस शृंगार अधूरा है
काश मेरे स्वामी मेरी कुछ भूलों को बिसरा पाते
माना उनको जाना ही था लेकिन मुझ से कह कर जाते

प्रत्येक प्रहर इस रैना का इस विरह गीत को गायेगा
हर पल मधुयामिनी की बैरन स्मृतियाँ सज़ा कर लाएगा
कैसे मैं खुद को बहलाऊँ कैसे मैं मन को समझाऊँ
यदि कक्ष चूड़ियों के टूटन की कथा कभी दोहराएगा
प्रस्थान भाग्य था पर फिर भी अधरों से अधर छू कर जाते
माना उनको जाना ही था लेकिन मुझ से कह कर जाते

उस प्रथम मिलन की मधुस्मृति मुझ को कैसे सोने देगी
और तुम्हारे हाथों की वो छुअन नहीं रोने देगी
बिस्तर की हर सिलवट से है महक तुम्हारी ही आती
तुम और किसी के हो जाओ ये मुझे नहीं होने देगी
मन की इतनी सी थी इच्छा तुम बस मेरे हो कर जाते
माना उनको जाना ही था लेकिन मुझ से कह कर जाते

हर रात नेह के साथ मुझे स्पर्श तुम्हारा मिलता था
और प्रेम से परिपूर्ण संसर्ग तुम्हारा मिलता था
नई भोर के साथ सदा उत्कर्ष हमारा खिलता था
एक ठिठोली खिलती थी और हर्ष हमारा खिलता था
इक बार मुझे चलते चलते आलिंगनबद्ध ही कर जाते
माना उनको जाना ही था लेकिन मुझसे कह कर जाते

इस विरह वेदना का कैसे आघात सहूंगी इस मन पे
जाते जाते वो छोड़ गए वृद्धावस्था इस यौवन पे
निर्जीव देह रह गई मात्र थे प्राण वे ही तो इस तन के
जाना ही था "गर" उनको तो श्वासों का ऋण दे कर जाते
माना उनको जाना ही था लेकिन मुझ से कह कर जाते
लेकिन मुझ से कह कर जाते......बस मुझ से कह कर जाते......

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