गुरुवार, 13 मई 2010

पगली....अब भी ??????

मेरी आँखों में जो काजल की तरह रहता था
आज मुझ को वो ही इक शख्स रुलाता क्यों है..
ओ मुझे भूलने वाले ये बता दे मुझको
अब भी अक्सर मुझे याद तू आता क्यों है..

मेरी तरसी हुई आँखों के ये सूखे आँसू
वक्‍त बे-वक्‍त तेरे नाम पे रो जाते हैं
जब भी सीने में सिसक उठते हैं गुजरे लम्हें
मेरे सब ख्वाब तेरी याद में खो जाते हैं
तू मेरा कुछ भी नहीं है तो फिर
तेरी चाहत को मेरा प्यार बुलाता क्यों है..

ओ मुझे भूलने वाले ये बता दे मुझको
अब भी अक्सर मुझे याद तू आता क्यों है..

मेरे हाथों में तेरे नाम की मेंहदी न लगी
लाल जोड़ा भी तेरे नाम का न मेरा था
सातों फेरे मेरे तन्हा थे तेरे ही ग़म में
कितना रोता हुआ मायूस हर एक फेरा था
चाहा कह दूँ मैं ज़माने से कि तुम्हारी हूँ
गैर के घर मेरी डोली लिये जाता क्यों है...

ओ मुझे भूलने वाले ये बता दे मुझको
अब भी अक्सर मुझे याद तू आता क्यों है..


माँग मेरी तेरे सिन्दूर को सिसकती रही
हाथ मेरा तेरी छुअन के लिये
मेरी आँखें तेरी राह तका करती हैं
नींद मेरी तेरे नयन के लिये
फिर वो ही आगोश मुझे दे दे कहीं से आकर
मेरे अहसास से दामन को बचाता क्यों है

ओ मुझे भूलने वाले ये बता दे मुझको
अब भी अक्सर मुझे याद तू आता क्यों है..

बेवफ़ा तू भी नहीं, बेवफ़ा हम भी नहीं
तेरे जाने की खुशी भी नहीं, ग़म भी नहीं
तू नहीं सिर्फ तेरा प्यार मुझे याद है अब
याद वो रात, वो हर बात, वो सावन भी नहीं
दिल मेरा तेरी तमन्ना को छुपाता क्यों है

ओ मुझे भूलने वाले ये बता दे मुझको
अब भी अक्सर मुझे याद तू आता क्यों है..

मेरा माथा तेरी बिन्दी के लिये बेचैन रहा
उसकी तड़पन को जमाने से छुपाया मैंने
वो तेरा प्यार, तेरी कसमें, तेरे वादों का बदन
अजनबी सेज पर हँस हँस के बिछाया मैंने
तेरा हर ख्वाब मेरी आँखों ने जलाया लेकिन
दिल का हर ज़ख्म तेरा शुक्र जताता क्यों है...

ओ मुझे भूलने वाले ये बता दे मुझको
अब भी अक्सर मुझे याद तू आता क्यों है..

उम्र भर तुझसे मुझे इतना ग़िला रखना है
तू अगर चाहता पाना, मुझे पा सकता था
अपने सीने में थोड़ी सी जगह दे के मुझे
वक्‍त के बेरहम हाथों से बचा सकता था
भूल जाता अगर दुनिया की रिवाज़-ओ-रस्में
तो तेरा नाम मेरी रुसवाई छुपा सकता था

पर तेरे ग़म का असर मुझ पे नहीं है तो फिर
मेरा बेटा मुझे तुझ सा नजर आता क्यों है
ओ मुझे भूलने वाले ये बता दे मुझको
अब भी अक्सर मुझे याद तू आता क्यों है..
अब भी अक्सर मुझे याद तू आता क्यों है..

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

हृदयस्पर्शी कविता